दुष्ट का क्षणिक संग भी कष्टकरी होता है !

किसी जंगल के रस्ते में एक पीपल का विशाल पेड़ था| इस पीपल के पेड़ में अनेक पक्षियों ने अपने घोंसले बना रखे थे| उसी पेड़ पर एक हंस भी रहता था| हंस अपने उदार स्वभाव के कारण सभी पक्षियों के आदर का पात्र था| उसी पेड़ पर एक कौआ भी रहता था| हंस के उदार भाव के कारण कौआ हंस से इर्ष्या करता था| एक दिन कोई यात्री उस मार्ग से जा रहा था, उस के शरीर पर मूल्यवान वस्त्र और कंधे पर धनुष- बाण शोभा दे रहे थे| वह गर्मी की तपिश से व्याकुल हो रहा था| पीपल के पेड़ की घनी छाया देख कर उसने उस पेड़ के नीचे आराम करने का निश्चय किया| पेड़ की सुखद छाया में लेटते ही उसे नींद आ गई| थोड़ी देर बाद सूर्य की रोशनी उस पथिक के ऊपर आ गई| नींद गहरी होने के कारण वह सोता ही रहा| हंस ने जब सूर्य किरणों को उसके मुंह पर पड़ते देखा तो दयावश उसने अपने पंखों को फैला कर छाया कर दी, जिस से पथिक को सुख मिल सके| यात्री सुख पूर्वक सोता रहा| नींद में उसका मुंह खुल गया| उसी समय कौआ भी उड़ता हुआ आया और हंस के पास बैठ गया| साधु स्वभाव वाले हं
सने कौवे को अपने समीप आया देख उसे सादर बैठाया और कुशल-प्रश्न पूँछा| कौवा तो स्वभाव से ही दुष्ट था, हंस को छाया किये देख कर वह मन ही मन सोचने लगा कि यदि में इस यात्री के ऊपर बीट कर के उड़ जाऊ तो यह यात्री जाग जाएगा तथा पंख फैलाए हंस को ही बीट करने वाला समझ कर मार डालेगा, इससे मैं इस हंस से मुक्ति पा जाऊंगा| जब तक यह हंस यहाँ रहेगा, तब तक सब इसी की प्रशंसा करते रहेंगे|
यह विचार कर उस ईर्ष्यालु कौए ने सोए हुए पथिक के मुंह में बीट कर दी और उड़ गया| मुख में बीट गिरते ही यात्री चौंककर उठ बैठा| जब उसने ऊपर की ओर देखा तो हंस को पंख फैलाए बैठा पाया| यद्यपि हंस ने उसका उपकार किया था, परन्तु दुष्ट के क्षणिक संग ने उसे ही दोषी बना दिया| यात्री ने सोचा कि इस हंस ने ही मेरे मुंह में बीट की है, यात्री को गुस्सा तो था ही उसने धनुष-बाण उठाया और एक ही तीर से हंस का काम तमाम कर दिया| बेचारा हंस उस दुष्ट कौए के क्षणिक संग के कारण मृत्यु को प्राप्त हुआ| इस लिए कहा गया है कि दुष्ट के साथ न तो कभी बैठना चाहिए और ना ही कभी दुष्ट का साथ देना चाहिए|

Rajesh Asthana

Photo

सफलता का रहस्य.....



एक बार एक नौजवान लड़के ने सुकरात से पूछा कि सफलता का रहस्य क्या है?

सुकरात ने उस लड़के से कहा कि तुम कल मुझे नदी के किनारे मिलो. दूसरे दिन दोनों मिले. फिर सुकरात ने नौजवान से उनके साथ नदी की तरफ बढ़ने को कहा और जब आगे बढ़ते-बढ़ते पानी गले तक पहुँच गया, तभी अचानक सुकरात ने उस लड़के का सर पकड़ के पानी में डुबो दिया. लड़का बाहर निकलने के लिए संघर्ष करने लगा , लेकिन सुकरात ताकतवर थे और उसे तब तक डुबोये रखे जब तक की वह बेहोश नहीं होने लगा. फिर सुकरात ने उसका सर पानी से बाहर निकाल दिया और बाहर निकलते ही जो चीज उस लड़के ने सबसे पहले की वो थी हाँफते-हाँफते तेजी से सांस लेना.

सुकरात ने पूछा ,” जब तुम वहाँ थे तो तुम सबसे ज्यादा क्या चाहते थे?”

लड़के ने उत्तर दिया,”सांस लेना”

सुकरात ने कहा,” यही सफलता का रहस्य है. जब तुम सफलता को उतनी ही बुरी तरह से चाहोगे जितना की तुम सांस लेना चाहते थे तो वो तुम्हे मिल जाएगी” इसके अलावा और कोई रहस्य नहीं है.

सफलता का रहस्य..... 

एक बार एक नौजवान लड़के ने सुकरात से पूछा कि सफलता का रहस्य क्या है?

सुकरात ने उस लड़के से कहा कि तुम कल मुझे नदी के किनारे मिलो. दूसरे दिन दोनों मिले. फिर सुकरात ने नौजवान से उनके साथ नदी की तरफ बढ़ने को कहा और जब आगे बढ़ते-बढ़ते पानी गले तक पहुँच गया, तभी अचानक सुकरात ने उस लड़के का सर पकड़ के पानी में डुबो दिया. लड़का बाहर निकलने के लिए संघर्ष करने लगा , लेकिन सुकरात ताकतवर थे और उसे तब तक डुबोये रखे जब तक की वह बेहोश नहीं होने लगा. फिर सुकरात ने उसका सर पानी से बाहर निकाल दिया और बाहर निकलते ही जो चीज उस लड़के ने सबसे पहले की वो थी हाँफते-हाँफते तेजी से सांस लेना.

सुकरात ने पूछा ,” जब तुम वहाँ थे तो तुम सबसे ज्यादा क्या चाहते थे?”

लड़के ने उत्तर दिया,”सांस लेना”

सुकरात ने कहा,” यही सफलता का रहस्य है. जब तुम सफलता को उतनी ही बुरी तरह से चाहोगे जितना की तुम सांस लेना चाहते थे तो वो तुम्हे मिल जाएगी” इसके अलावा और कोई रहस्य नहीं है.

शुभ-रात्रि मित्रों 
@[415937578443008:274:~aakaasshhh~]

Rajesh Asthana

!!! ॐ साईं राम !!!
सुप्रभात.... आपका दिन मंगलमय हो !

!!! ॐ साईं राम !!!

भ्रष्टाचार की समस्या के संबंध में एक चिड़िया की कहानी अत्यंत प्रेरणादायक है।

भ्रष्टाचार की समस्या के संबंध में एक चिड़िया की कहानी अत्यंत प्रेरणादायक है।

एक बार जंगल में भीषण आग लग गई। वहां एक ऊंचे पेड़ पर घोसला बनाकर एक गौरैया रहती थी। उसने जंगल में फैली आग को देखा और थोड़ी देर सोचने के बाद निर्णय लिया कि वह कुछ करेगी। वह ऊंचाई पर उड़ती हुई जंगल के पास स्थित एक झील तक पहुंची। वहां से उसने अपनी चोंच में पानी भरा और उड़ती हुई जंगल के उस हिस्से में पहुंची जहां आग लगी थी। वहां पहुंच कर उसने पानी को आग के ऊपर डाल दिया।

उसने यह क्रिया कई बार दोहराई। पास में बैठा एक कौआ बहुत हैरत से गौरैया को देख रहा था। जब गौरैया कई बार अपनी चोंच में पानी भर कर आग पर गिरा चुकी तो कौवे ने गौरैया से पूछा, 'तुम क्यों व्यर्थ में मेहनत कर रही हो ? क्या तुम समझती हो कि चोंच भर पानी से तुम जंगल में लगी आग को बुझा सकोगी ?'
गौरैया ने उत्तर दिया, 'मैं जो कुछ भी कर रही हूं, उसको करने के लिए मेरे पास कई कारण है।

पहला यह कि जो कोई भी बड़ा या छोटा प्राणी जंगल में रहता है उसे अपनी पूरी क्षमता से किसी भी विपदा के विरुद्ध लड़ना चाहिए।

दूसरा, मैं ऐसा करके यह स्पष्ट घोषणा कर रही हूं कि मैं उन लोगों में शामिल नहीं हूं जिन्होंने जंगल में आग लगाई है, बल्कि उन लोगों में से हूं जो आग को बुझाने में लगे है।

तीसरा, मुझे अपने जीवन में कभी भी यह ग्लानि नहीं होगी कि मैं जंगल में लगी आग को बुझाने के लिए जो कुछ कर सकती थी वह मैंने नहीं किया।

चौथा कारण यह है कि मैं ऐसे लोगों के लिए उदाहरण प्रस्तुत करना चाहती हूं जो आग बुझाने का काम कर सकने में सक्षम है, परंतु कुछ भी नहीं कर रहे है

और अंतत: जब कभी भी इस जंगल का इतिहास लिखा जाएगा और इसमें लगी आग का विवरण दिया जाएगा तो उसमें मेरा नाम इसलिए शामिल किया जाएगा कि मैंने अपनी पूरी क्षमता और ताकत से जंगल में लगी आग को बुझाने की कोशिश की थी।'

कहानी में गौरैया द्वारा जंगल में लगी आग को बुझाने के लिए दिए गए सभी कारण अत्यंत महत्वपूर्ण है।

"आप" को गौरेया समझ सकते है "आप"
इस कहानी को पडकर भी "आप" का समर्थन नही करोगे तो अपने को "आम आदमी" बोलना बंद कर दो!